[ad_1]

Jammu Kashmir News: तंगदार सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास एलओसी पर स्थित टेटवाल गांव में गुरुवार को एक शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया, जहां शारदा अस्थानन की भूमि पर हाल ही में पुनः दावा किया गया और एक शारदा मंदिर और शारदा केंद्र की आधारशिला रखी गई. इससे पहले शारदा यात्रा समिति ने सुबह भूमि का भूमि-पूजन किया था.  nकश्मीरी पंडित खुद को मां शारदा का वंशज मानते हैं और किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले श्री गणेश के बजाय शारदा का आह्वान करते हैं और शारदापीठ उनके लिए काशी के समान है.

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की केंद्रीय वक्फ विकास समिति के अध्यक्ष और बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य डॉ दर्शन अंद्राबी,  शारदा यात्रा समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडिता, एसडीएम तंगदार और तहसीलदार तंगदार की उपस्थिति में कल सुबह 11 बजे मंदिर की आधारशिला रखी गई. इस स्थल को समिति द्वारा उस स्थान पर पुनः प्राप्त किया गया था, जहां 1948 तक एक प्राचीन धर्मशाला हुआ करती थी. 1948 तक कश्मीर और जम्मू के तीर्थयात्रियों के लिए यह अंतिम पड़ाव-स्थल शारदा तीर्थ था. पाकिस्तान के 1948 के आदिवासी हमले के बाद यह स्थल वीरान हो गया था और अब रविंदर पंडिता के नेतृत्व में शारदा यात्रा समिति ने एक लंबे संघर्ष के बाद साइट पर विशाल शारदा केंद्र और पूजा केंद्र के इस ऐतिहासिक पुनर्निर्माण के लिए भूमि और आधारशिला को पुनः प्राप्त किया. 

शारदा पीठ यात्रा को फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं कश्मीरी पंडित

शारदा पीठ एलओसी के पार नीलम नदी के किनारे शारदा गांव में एक परित्यक्त मंदिर है. यह शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था और इसे दक्षिण एशिया के 18 अत्यधिक सम्मानित मंदिरों में से एक माना जाता है. कश्मीरी पंडित लंबे समय से पाकिस्तान सरकार के साथ शारदा पीठ यात्रा को फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं.

साल 2020 में जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी पंडितों ने करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर पाक में नीलम घाटी और उत्तरी कश्मीर में टीटवाल के बीच एक कॉरिडोर खोलने की मांग की थी. सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरपर्सन डॉ दर्शन अंद्राबी ने कहा, “शारदा पीठ सदियों से कश्मीर की पहचान थी क्योंकि यह पूरे दक्षिण-एशिया में सीखने, शोध और आध्यात्मिकता में प्रमुखता का स्थान था.”

इतिहास को फिर से लिखने का अवसर मिला- अंद्राबी

डॉ अंद्राबी ने कहा, “1948 तक श्रीनगर से शारदा यात्रा इस स्थान से होकर गुजरती थी और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव था. सात दशकों से अधिक समय के बाद, हम ऐतिहासिक महत्व के इस स्थान को भावी पीढ़ी के लिए जीवंत बना रहे हैं और यहां एक विशाल शारदा केंद्र और पूजा स्थल की नींव रखी गई है.  हम भाग्यशाली हैं कि इतिहास को फिर से लिखने का यह अवसर मिला है.”

इस अवसर पर बोलते हुए शारदा तीर्थ समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडिता ने कहा कि उनके दशकों के लंबे संघर्ष ने आज फल दिया है और कश्मीर में शारदा संस्कृति को पुनर्जीवित करने की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा, “मैं कार्यक्रम के आयोजन में समर्थन के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार और भारतीय सेना का आभारी हूं. स्थानीय मुस्लिम और सिख प्रतिनिधि भी संघर्ष के दौरान और कार्यक्रम में हमारे साथ खड़े रहे.”

यह भी पढ़ें-

Coronavirus Cases Today: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 9 हजार 216 नए केस दर्ज, ओमिक्रोन से दो लोग पॉजिटिव

Explained: ओमिक्रोन को लेकर क्यों चिंतित हैं वैज्ञानिक, कैसे आया ये दुनिया के सामने, जानें नए वेरिएंट पर पूरी पड़ताल

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *