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नई दिल्ली: महापर्व छठ के आयोजन को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सत्तारूढ़ आप, बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस बीच आज दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि जब से मैं अध्यक्ष बना हूं हर विषय पर यह केंद्र और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल देते हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि, जिस तरह से दोनों ही पार्टियां सत्ता में काबिज है फिर चाहे वह केंद्र हो एमसीडी हो या दिल्ली यह दोनों ही सरकारें अरविंद और बीजेपी नूरा कुश्ती लड़ रहे हैं. ये हम पिछले डेढ़ साल से देख रहे हैं.

उन्होंने कहा कि, एक सबसे नया उदाहरण है छठ पूजा का. छठ पूजा के आयोजन को लेकर कांग्रेस पार्टी मांग करती रही है. हमने इस को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया उपराज्यपाल के पास निवेदन भी किया. सवाल यह है कि डीडीएमए की गाइडलाइन का सिर्फ बहाना बनाया जा रहा है. जब डीडीएमए के आप मेंबर हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं लेफ्टिनेंट गवर्नर साहब हैं सिर्फ एक आदेश आता है कि इस बार घाटों पर छठ नहीं मनाने देंगे.

दोनों पार्टियां छठ पूजा नहीं कराना चाहती- अनिल चौधरी

अनिल चौधरी ने आगे कहा कि, आप उस समय वहां मौजूद थे आपने तब क्यों नहीं आपत्ति दर्ज कराई? फिर आप कहते हैं कि छठ मनाया जाना चाहिए. मैं पूरे आत्मविश्वास से कहना चाहता हूं कि अरविंद की मंशा छठ पूजा मनाने की नहीं है और ना ही बीजेपी की और यह निरंतर जो पूर्वांचल वासी हैं उनके खिलाफ अरविंद सरकार का फैसला रहा है. कोरोना के दौरान भी उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया था प्रवासियों के खिलाफ वादाखिलाफी है.

उन्होंने कहा कि, अब छठ का मामला है भगवान का मामला है इसमें भी राजनीति की जा रही है. कांग्रेस के समय में घाटों की शुरुआत हुई इस दौरान पूजा हुई यमुना के पर होती थी. सरकार आयोजन करती थी पहली बार डीडीएमए में की गाइडलाइन का सहारा लिया जा रहा है. साथ ही इस आयोजन को बंद किया जा रहा है. यमुना की जो स्थिति है जिस तरह से दावे किए गए थे बीजेपी की मोदी सरकार ने नदियों को लेकर जो कहा था लोगों को उम्मीद थी.

आज यमुना की जो स्थिति है उसको लेकर दुख होता है- अनिल चौधरी

अनिल चौधरी ने आगे कहा कि, हर साल अरविंद केजरीवाल ने यमुना किनारे आरती का आयोजन करते हैं. अब देखिए यमुना अपनी दुर्दशा पर हो रही है. कलंदी कुंज से लेकर आप पूरे यमुना के किसी भी घाट पर चले जाए जो किनारे हैं वह दूषित है. आज यमुना की जो स्थिति है उसको लेकर दुख होता है. बड़ी-बड़ी बातें की गई स्टीमर चलाने की बातें की गई केजरीवाल द्वारा आरती और पर्यटन को बढ़ावा देने की बातें की गई कितना बदलाव आया 7 साल हो चुके हैं.

यमुना एक्शन प्लान जो बनना चाहिए था जिस पर अमल होना चाहिए था वह नहीं हुआ. आखिर में जब प्रदूषण होता है तब आखिरी समय में क्यों विषय बनता है. तब ही क्यों सरकार जागती हैं, क्यों साल भर काम नहीं करते. 7 साल हो गए अरविंद केजरीवाल को उन्होंने ही सपने दिखाए थे. दिल्ली को एक विश्वस्तरीय शहर बनाने की बात कही गई थी उसी तरह यमुना को स्वच्छ और निर्मल बनाने की बात कही गई थी.

अरविंद केजरीवाल बताएं कि कितनी स्वच्छ हो पाई दिल्ली के और कितने स्वच्छ हो पाई यमुना. देश के प्रधानमंत्री भी बताएं कि नदियों को लेकर उन्होंने जो एक्शन प्लान बनाया था उससे कितनी नदियां साफ हुई और यमुना कितनी साफ हुई. मैं समझता हूं कि जिम्मरदारी सरकार की है और मैं मानता हूं कि सवाल पूछने का अधिकार अब अरविंद केजरीवाल को नहीं है अब अरविंद केजरीवाल को जवाब देना होगा कि आखिर उन्होंने 7 सालों में किया क्या.

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