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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश सरकार ने मझवार जाति को उनके उपनामन के आधार पर अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का भारत सरकार से अनुरोध किया है. निषादों के आरक्षण के मुद्दे पर घोषणा न होने से नाराज़गी का असर हुआ. प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त को पत्र भेजकर तत्काल मार्गदर्शन मांगा. निषाद पार्टी की रैली में अमित शाह के घोषणा न करने से निराश कार्यकर्ताओं हंगामा किया था. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद की तरफ से दिए गए ज्ञापन पर यह कार्रवाई हुई है. भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त को पत्र उपनामों को आरक्षण पर तत्काल मार्गदर्शन मांगा गया.

प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में मझवार जाति के लोग माझी, मझवार, केवट, मल्लाह, निषाद आदि उपनामों का प्रयोग करते हैं, इसके चलते उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाता है. जबकि अन्य अनुसूचित जातियों के लोगों को उपनाम लिखने पर उन्हें प्रमाण पत्र निर्गत करने में कोई आपत्ति नहीं की जाती है. 

डा. संजय निषाद ने मझवार जाति के सभी उपनाम वाले लोगों को भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने की मांग की थी.  

कौन हैं डा संजय निषाद

वर्ष 2013 में निषाद पार्टी बनाने वाले से पहले संजय निषाद  गोरखपुर में एक होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे. वह राजनीति में दो दशक से सक्रिय हैं.  उन्होंने इससे पहले कैम्पियरगंज विधानसभा से चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए. निषाद पार्टी से पहले उन्होंने राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनाई थी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते निषादों की विभिन्न उपजातियों को एक करने का प्रयास किया.

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