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Social Media: भारत के पांच राज्यों में राजनीतिक पार्टियों की चुनाव की तैयारी ज़ोरों से चल रही हैं. हर किसी पार्टी के सोशल मीडिया सेल अपने-अपने तरीके से प्रचार प्रसार कर रहे हैं. इसी बीच इंटेलिजेंस विभाग ने पाया है कि पिछले तीन महीनों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से जुड़े पोस्ट की संख्या बहुत ज़्यादा बढ़ी है. इंटेलिजेंस विभाग के सूत्रों ने बताया कि हमने साइबर से जुड़ी हर जांच एजेंसियों को सोशल मीडिया पोस्ट पर नज़र रखने को कहा है जिससे अगर किसी जगह पर इन पोस्ट की वजह से लॉ एंड ऑर्डर की समस्या होते दिखाई दे तो वो इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को दी जा सके.

उदाहरण के तौर से सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के टेली प्रोमपटर से जुड़े अच्छे बुरे पोस्ट पूरे भारत से किए जा रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में कोंग्रेस को चुनाव में खड़े करने के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं और योगी सरकार के बल्ब हुए फ्यूज़ जैसे कई पोस्ट भारत से ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे कोने से भी किए जा रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया हमें ऐसे पोस्ट से बचना चाहिए जो दो समाज में झगड़ा कराने का कारण बनते हैं. ऐसे पोस्ट किसी ना किसी को फ़ायदा पहुंचाने के लिए किए जाते हैं तो कई बार ये पोस्ट राजनीतिक फ़ायदे के लिए भी किए जाते हैं.

सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ गया है

महाराष्ट्र की साइबर जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र में हो रहे सरपंच चुनाव के समय ये ट्रेंड इतने नहीं थे पर मुंबई के BMC चुनावों की तारीख की घोषणा फरवरी महीने में हो सकती है. इस संभावना के बाद से ही सोशल मीडिया पर नोटिसेबल ट्रेंड बढ़ गए. वहीं, जब सबको पता चला की चुनाव में अभी और समय लग सकता है तो इन पोस्ट में बहुत बड़ी गिरावट आई और अब ये पोस्ट नाम के हैं. एबीपी न्यूज़ के हाथ लगे महाराष्ट्र पुलिस के अकड़ों की माने तो जब से कोविड की वजह से पहला लॉकडाउन लगा है तब से सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ गया है और इसी सोशल मीडिया का बच्चों की पढ़ाई, वर्क फ्रॉम होम और ट्रोलर अपने अपने हिसाब से कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में 1130 मामले दर्ज

22 मार्च 2022 को पहली बार देश में लॉकडाउन लगाया गया था और तब से लेकर आज तक महाराष्ट्र में 1130 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं जो कि फेक न्यूज़, अफ़वाह या हेट स्पीच से जुड़े हुए हैं. इन 1130 मामलों में से 1064 मामलों में FIR (First Information Report) दर्ज हुई हैं तो 66 मामलों में सिर्फ NC (Non-Cognizable) दर्ज किए गए हैं. इन दर्ज किए गए मामलों में पुलिस ने अब तक 371 लोगों को गिरफ़्तार किया है तो वहीं 1056 लोगों की पहचान की गई है जो किसी ना किसी तरह से सोशल मीडिया संबंधित क्राइम का हिस्सा थे या उनके होने का शक हैं.

145 लोगों के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई

महाराष्ट्र पुलिस ने सोशल मीडिया के अपराध से जुड़े 152 लोगों को CrPC की धारा 41 के तहत नोटिस दिया है तो वहीं 145 लोगों के ख़िलाफ़ CrPC की धारा 107 के तहत कार्रवाई की है. अब तक के रिकॉर्ड के मुताबिक़ महाराष्ट्र में जो मामले दर्ज हुए हैं उसमें से 412 मामले व्हट्सएप पर भेजे जाने वाले मैसेज को लेकर मिली शिकायतों के बाद दर्ज किए गए हैं. 396 मामले फ़ेसबुक सांप्रदायिक, अफ़वाह फैलाने वाले पोस्ट के आधार पर दर्ज किए गए हैं. 28 मामले टिक-टोक के विडियो के आधार पर दर्ज किए गए हैं. 26 मामले ट्विटर के कमेंट और पोस्ट के आधार पर दर्ज किए गए हैं और 78 मामले इंस्टाग्राम के पोस्ट के आधार पर दर्ज किया गए हैं. इसके अलावा कुछ मामले दूसरे एप्लिकेशन जैसे की बुली बाई एप, सुल्ली एप और क्लब हाउस एप से जुड़े हैं.

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