UP के नोएडा में RSS प्रमुख अपनी एक पुस्तक के लॉंच कार्यक्रम में पहुंचे। जहां उन्होंने देश के विभाजन को लेकर कई बड़ी बातें कहीं। उन्होंने कहा कि “देश में विभाजन न दूर होना एक गहरी चोट है, यह दुख तब दूर होगा जब बंटवारे का दर्द खत्म होगा। इस देश के विभाजन का कार्यक्रम पहले से ही तैयार किया हुआ था। इसमें कोई राजनीतिक दृष्टिकोण नहीं हैं, यह हमारे अस्मिता का सवाल है।” हमें अपने इतिहास के पन्नों से शिक्षा लेनी चाहिए और देश की गौरव गाथा को लेकर चिंतन करना चाहिए।
भागवत जी ने कहा कि “हमारे जन्म के पश्चात हुए विभाजन के बारे में 10 वर्षों तक हमें कुछ अनुभव नहीं था। जब मालूम हुआ, तो काफी पीड़ा हुई। उस रात मुझे नींद तक नहीं आई। जिस धरती को हम मातृभूमि मानते हैं, जिसके लिए हमारे देश के नौजवानों ने कुर्बानी दी, कई पीढियों ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, उसका बंटवार कैसे हो सकता है?”
इतना ही नहीं, उन्होंने राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि “देश के प्रधानमंत्री को यह बताना पड़ता है कि 14 अगस्त का दिन हमें याद रखने की जरूरत है, क्योंकि ये दिन राजनीति से परे है। इस विभाजन ने न भारत को शांति में रहने दिया और न ही पाकिस्तान को। उन्होंने कहा कि जो भी हमारी धरती माता को कष्ट पहुंचाता है, उसे दूर करने का प्रयास करना जरूरी है। देश खंडित हुआ है, इसे एकता के सूत्रों में पिरोने की भी जरूरत है।”
भागवत जी ने कहा कि “देश कैसे टूटा, इसका इतिहास पढकर आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही देश में बंटवारे के बाद हुए दंगों का भी जिक्र करते हुए कहा कि किसी को अपनी मानसिकता को कभी दूसरों के ऊपर कभ थोंपना नहीं चाहिए। अपनी चीजों को सही आंकना गलत है। हमारी सभ्यता और संस्कृति विविधता में एकता की सूत्रधार से सजी है, इसलिए हिंदू कभी मुस्लिमों को यह नहीं कह सकता है कि मुसलमान यहां नहीं रहेंगे। इस अत्याचार को रोकने के लिए बल का भी प्रयोग करना जरूरी है।”