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Punjab Election 2022: पंजाब में कुछ सरकारी नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच जारी तनातनी के बीच कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश चौधरी ने सोमवार को दोनों नेताओं के साथ बैठक की .

कोटकपूरा पुलिस फायरिंग की 2015 की घटना की जांच की स्थिति को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने और राज्य में अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाने के कुछ ही घंटों बाद यह बैठक हुई . सूत्रों ने बताया कि सिद्धू के करीबी माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री परगट सिंह भी इस बैठक में मौजूद थे.

समझा जाता है कि बैठक के दौरान सिद्धू ने ए पी एस देओल और इकबाल प्रीत सिंह सहोता की क्रमश: राज्य के महाधिवक्ता और कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में नियुक्ति का मुद्दा उठाया था.

इससे पहले पिछले हफ्ते सिद्धू ने कहा था कि उन्होंने पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में अपना इस्तीफा वापस ले लिया है, लेकिन यह भी शर्त रखी है कि जिस दिन देओल के स्थान पर एक नया महाधिवक्ता नियुक्त किया जाएगा और नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए संघ लोकसेवा आयोग से पैनल आएगा, उसके बाद ही वह कार्यभार संभालेंगे.

पत्रकारों से सोमवार को बातचीत करते हुये कैबिनेट मंत्री राज कुमार वेरका ने कहा कि चन्नी और सिद्धू ने यहां एक बैठक की और जो भी गलतफहमी है उसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा .

यह पूछे जाने पर कि दोनों नेताओं के बीच मतभेद कैसे खत्म होंगे, वेरका ने कहा कि चौधरी ने चन्नी और सिद्धू के साथ अलग-अलग और संयुक्त रूप से मुद्दों पर चर्चा की .

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मुद्दे थे और उन्हें आज काफी हद तक सुलझा लिया गया है और जो भी शेष मुद्दे हैं उन्हें जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.’’ महाधिवक्ता और डीजीपी को बदलने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी बातों पर आपको बहुत जल्द जवाब मिल जाएगा.’’

गौरतलब है कि इससे पहले दो नवंबर को सिद्धू, चन्नी और चौधरी केदारनाथ के मंदिर में पूजा-अर्चना करने उत्तराखंड गए थे. उसी दिन, उन्होंने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की थी. उस वक्त सिद्धू ने कहा था, ‘‘सब ठीक है.’’

सिद्धू देओल और सहोता की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं. सहोता और देओल दोनों ही मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की पसंद माने जाते हैं . इससे पहले सिद्धू ने राज्य सरकार से बेअदबी की घटनाओं में न्याय सुनिश्चित करने और नशे के मामलों में एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए उठाए गए कदमों पर सवाल उठाया था. 

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