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नगालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल हो गए. पुलिस ने रविवार को बताया कि गोलीबारी की पहली घटना शायद गलत पहचान का मामला थी. इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई. गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान कर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे.

सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें छह मजदूरों की जान चली गई.

पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले और इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया. इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई. इसके बाद सैनिकों की आत्मरक्षा की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई. 

सरकार ने बनाई एसआईटी

नगालैंड सरकार ने मोन जिले में शनिवार शाम को हुई गोलीबारी की घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है, जिसमें मुख्य सचिव जे आलम के दस्तखत वाला यह आदेश गृह विभाग द्वारा जारी किया गया है.

रविवार को भी जारी रहा हिंसा का दौर

इस घटना के खिलाफ उग्र विरोध और दंगों का दौर रविवार दोपहर भी जारी रहा और गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स कैंप के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी. सुरक्षा बलों द्वारा हमलावरों पर की गई गोलीबारी में कम से कम एक और नागरिक की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए.  उग्र भीड़ गोलीबारी के घटना में शामिल सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रही थी.

नगालैंड सरकार ने भड़काऊ वीडियो, तस्वीरों या लिखित सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए जिले में मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं के साथ-साथ एक साथ कई एसएमएस करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन बावजूद इसके भीड़ द्वारा मोन में कोन्याक यूनियन कार्यालय और असम राइफल्स कैंप में तोड़फोड़ करने के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं. रविवार को दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो सोमवार को प्रभावित जिले का दौरा करेंगे.

मारे गए लोगों का कराया जा रहा पोस्टमॉर्टम

पुलिस ने कहा कि इस गोलीबारी में मारे गए लोगों का पोस्टमॉर्टम मोन में कराया जा रहा है और आशंका जताई गई कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि घायलों में से दो की हालत गंभीर है और उन्हें बेहतर उपचार के लिए असम भेजा गया है, जबकि शेष का उपचार नगालैंड में ही चल रहा है.

सेना ने दिया कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश

सेना ने घटना की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का आदेश देते हुए बताया कि इस दौरान एक सैन्यकर्मी की मौत हो गई और कई अन्य सैनिक घायल हो गए. इसने कहा कि यह घटना और उसके बाद जो हुआ, वह ‘बेहद खेदजनक’ है और लोगों की मौत होने की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की बड़े स्तर पर जांच की जा रही है. मोन म्यांमा की सीमा के पास स्थित है, जहां से एनएससीएन-के का युंग ओंग धड़ा अपनी उग्रवादी गतिविधियां चलाता है. 

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