कपिल सिब्बल ने कल दावा किया था कि उन्होंने 16 मई को कांग्रेस छोड़ दी है। उनके इस बयां ने सबको चौंका दिया था , करीब 30 साल तक कांग्रेस पार्टी का साथ निभाने के बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया है। अब कपिल सिब्बल सपा के राजसभा जाने की है। वरिष्ठ सांसद कपिल सिब्बल ‘समर्थन’ के लिए विभिन्न दलों के साथ सौदेबाजी कर रहे हैं। पता चला है कि अखिलेश यादव का समर्थन मांगने से पहले कपिल सिब्बल कालीघाट पहुंचे और ममता बनर्जी से समर्थन मांगा। हालांकि टीएमसी के खेमे से साफ था कि कपिल को समर्थन पाने के लिए पार्टी में शामिल होना पड़ेगा। लेकिन कपिल का तृणमूल में अपना नाम लिखने का कोई इरादा नहीं था। इसी माहौल में सिब्बल ने तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी।
खबर आयी तृणमूल कांग्रेस के बाद कपिल सिब्बल ने कांग्रेस के पूर्व नेता ने अखिलेश यादव से संपर्क किया। अखिलेश ने कहा कि वह सिब्बल का समर्थन करेंगे। हालांकि, अखिलेश ने यह भी कहा कि कपिल को उनके लिए समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं होना पड़ेगा। इसी माहौल में कल अखिलेश के साथ कपिल सिब्बल ने राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल किया।
सूत्रों के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस की कपिल सिब्बल के साथ बातचीत कुछ महीनों से चल रही थी। उन्होंने तृणमूल के राज्यसभा सांसद से कहा कि वह अब कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा सदस्य नहीं बनना चाहते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या तृणमूल उनका समर्थन करेगी। लेकिन उस समय सिब्बल ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह पार्टी में शामिल हुए बिना समर्थन मांग रहे हैं। हालांकि, जब सिब्बल ने निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन जमा करना चाहा, तो ममता-अभिषेक ने कहा कि अगर वह सीधे टीएमसी खेमे में शामिल नहीं हुए तो तृणमूल कपिल का समर्थन नहीं करेगी। इस बीच कपिल ने कहा, ‘मैं एक स्वतंत्र आवाज के तौर पर संसद में अपनी बात रखना चाहता हूं।
गौरतलब है कि एक वकील के तौर पर तृणमूल का कपिल से रिश्ता काफी पुराना है। कपिल सिब्बल ने राज्य सरकार के लिए और तृणमूल के लिए भी कई मामले लड़े हैं। ममता सिब्बल को पार्टी में लाकर कांग्रेस को पीछे धकेलना चाहती थीं। पता चला है कि ममता पिछली बार जब दिल्ली गई थीं, तब उनकी मुलाकात कपिल सिब्बल से हुई थी। हालांकि, दोनों पक्ष अपनी स्थिति पर अड़े रहे और आगे नहीं बढ़े।