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सीडीएस अनिल चौहान – फोटो : ANI
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चीन के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को विकसित करने के दावे पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने संदेह जताया। उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि वे विकास के चरण में हैं। बड़ी संख्या में कई देश छठी पीढ़ी के कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं। देशों का व्यक्तिगत तौर पर यह मानना है कि वे कुछ ही दूरी पर हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकों का प्रदर्शन देशों की रणनीति का एक हिस्सा है।
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बंगलूरू में एयरो इंडिया सेमिनार में शामिल होने के दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि छठी पीढ़ी की क्षमता वाले इस तरह के विमानों के बारे में देखना बेहद मुश्किल है। हम जिन विमानों के बारे में बात कर रहे हैं, उनकी हमने कुछ सेकेंड की क्लिप देखी है। इसमें विमान के बाहरी द़ृश्य दिखाए गए हैं। इससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह छठी पीढ़ी की विमान है। तमाम इस देश छठी पीढ़ी पर काम रहे हैं। कुछ समय पहले हमने डब्ल्यूएस 10 और डब्ल्यूएस 15 इंजन के बारे में सुना था। जो चीन के पांचवीं पीढ़ी के विमानों पर लगे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले हमने यह भी सुना था कि चीन अमेरिका और ब्रिटेन के पूर्व पायलटों की नियुक्ति कर रहा है। वह अपने अभ्यास और तंत्र को बेहतर बनाना चाहता है। इसलिए वे यह दिखाना चाहते हैं कि वे विकास के चरण में हैं। वह दिखाते हैं कि वे तकनीकी और रणनीति के मामले में आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए हम भी यहां है। हमारे पास भी पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान एएमसीए है। यह काफी आगे की बात है, लेकिन हम भी यहां हैं।
सीडीएस ने कहा कि छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान ऐसा होता है, जो मानव और मानव रहित दोनों तरह से काम कर सकता है। मेरा मानना है कि छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कोई वैश्विक परिभाषा नहीं है। छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान एक हवाई कमांड पोस्ट की तरह काम करता है। यह ड्रोन, यूएवी को दो-तीन तरीके से नियंत्रित कर सकता है। इसके अलावा यह अलग तरीके से युद्ध लड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान में कई तरह की तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा। इसमें नेटवर्क, डाटा विश्लेषण होगा जो पायलटों को हर स्थिति में जानकारी और संपत्तियों की कमान और नियंत्रण भी देंगे। यह विमान खुद को नेटवर्क करने और सूचना देने में सक्षम होगा। यह यु्द्ध के दौरान निर्णय लेने के लिए एआई का उपयोग करेगा। इसमें लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वालीं मिसाइलें, हथियार प्रणाली और स्व उपचार करने की क्षमता के साथ स्टील्थ तकनीक भी होगी।