भारतीय महिलाओं की स्थिति में पहले से काफी बदलाव आया है। पर्दे के पीछे रहने वाली महिलाएं अब शिक्षा और करियर को लेकर अग्रसर हो रही हैं। हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनके जीवन से जुड़े फैसले आज भी वह खुद नहीं ले सकती हैं। अधिकतर महिलाएं अपने फैसलों के लिए परिवार या पति की अनुमति पर आश्रित होती हैं। वहीं कई महिलाओं को तो उनके अधिकारों के बारे में जानकारी ही नहीं होती। चाहें पिता का घर हो या पति का घर, दफ्तर हो या बच्चों का पालन पोषण , एक महिला को इन सभी जगहों का खास अधिकार मिलें हैं, जिसकी जानकारी न होने के कारण उनका जीवन अनुमति पर निर्भर रहता है।
भारतीय संविधान (Indian Constitution) महिलाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है, जो उन्हें समानता, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। महिला दिवस के मौके पर यहां संविधान द्वारा दिए गए पांच ऐसे अधिकारों (Women Rights) के बारे में बताए जा रहे हैं, जो हर महिला को जरूर जानने चाहिए।
संविधान में महिलाओं के लिए अधिकार
1. घरेलू हिंसा से सुरक्षा
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत, महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक शोषण से सुरक्षा मिलती है। महिलाएं पुलिस, महिला हेल्पलाइन या अदालत में शिकायत दर्ज कराकर कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
2. समान वेतन का अधिकार
कामकाजी महिलाओं को दफ्तर में पुरुषों के समान काम के लिए बराबर वेतन मिलना चाहिए। समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के तहत महिलाओं को समान काम पर पुरुषों के समान वेतन पाने का अधिकार है। अगर किसी महिला को उसके पुरुष सहकर्मी की तुलना में कम वेतन दिया जाता है, तो वह न्याय के लिए श्रम अदालत में जा सकती है।