हिंदू धर्म में न सिर्फ देवी-देवताओं की भक्ति भाव से पूजा-उपासना करने की परंपरा है, बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और नदियों की भी पूजा होती है। हिंदू धर्म में नदियों को बहुत ही पूज्यनीय माना गया है। नर्मदा जयंती महोत्सव हर्षोल्लास और ख़ुशी के साथ मनाया जा रहा है। श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही नर्मदा घाटों पर लगी हुई है । मंगलवार यानि आज सुबह 10.30 बजे प्राचीन नर्मदा मंदिर में मां नर्मदा का जन्म उत्सव मनाया जाएगा। इसके बाद दोपहर 03.30 बजे नर्मदा मंदिर, मोरछली चौक से सेठानी घाट तक शोभायात्रा निकाली जायेगी।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाई जाती है। इस बार नर्मदा जयंती 08 फरवरी को है। ऐसी मान्यता है कि आज के ही दिन धरती पर मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। नर्मदा नदी को रेवा नदी के नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में बहती है और अमरकंटक इन नदी का उद्गम स्थल है।
11 जिलों में मां नर्मदा के किनारे विकसित संस्कृति के बहुविविध सांस्कृतिक रूपों का प्रदर्शन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से किया जाएगा। इन सभी स्थानों पर जनजातीय और लोक नृत्य, लीला नाट्य गायन, वादन की सांगीतिक प्रस्तुतियों के साथ ही नर्मदा की कथाओं पर आधारित जनजातीय चित्रों की प्रदर्शनी, रामायण में वर्णित वनवासी चरित्रों पर केन्द्रित एकाग्र चित्र प्रदर्शनी और फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही मां नर्मदा पर केन्द्रित ”जीवन रेखा” और ”राग ऑफ रिवर नर्मदा” फ़िल्म प्रदर्शित की जाएगी।
शाम काे जलमंच से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह, मां नर्मदा जी का अभिषेक व पूजन, आरती करेंगे। इसके बाद नर्मदापुरम का नामकरण उत्सव मनाया जाएगा। इससे पहले सोमवार शाम को नर्मदापुरम कमिश्नर माल सिंह, DIG जेएस राजपूत, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, SP डॉ. गुरकरन सिंह सहित जिले के तमाम अधिकारियों ने सर्किट हाउस घाट से सेठानी घाट जलमार्ग पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया।