PM ने सिर्फ एक साल पूर्व ही तीनों सेनाओं के प्रमुख का चुनाव करने का निर्णय लिया था। पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में मेजर जनरल बिपिन को PM ने पद की जिम्मेदारी सौंपा थी। इस पद को लाने का मुख्य मकसद भारतीय सेनाओं की मजबूती बढ़ाने को लेकर था। जिससे देश की सेना को एक नये शिखर तक लेकर जाया जाए। सेना के अंदर सारी कमियों को पूरा किया जा सके। साथ ही सेना में जो कुछ भी सुधार करने हों, उस पर भी काम किया जा सके। अपने पद की जिम्मेदारी को CDS रावत बखूबी निभा रहे थे। उन्होंने तीव्र गति से सेना के अंदर एक नयी ऊर्जा भी लाने का काम किया था।

बता दें कि देश की सेना को बीते कुछ वर्षों में सुदृढ़ बनाने में जनरल रावत ने अपना अहम योगदान दिया है। चाहें चीन पर मोर्चा संभालने की बात हो या पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों से निपटने की। हर क्षेत्र में वह अपना शत-प्रतिशत दे रहे थे लेकिन, एक झटके के अंदर हुई उनकी मौत ने भारत को गहरा सदमा दिया है। जिससे भारत को निकलने में लंबा समय लग सकता है। हालांकि, देश कभी रूकेगी नहीं लेकिन, इसका असर तो एक लंबे समय तक रहेगा। कारगिल युद्ध के समय से ही CDS रावत को तीनों सेनाओं का प्रमुख बनाने की कोशिश की जा रही थी लेकिन, इस काम को वर्ष 2019 में निर्णायक रूप दिया गया और रिटार्यड होने के बाद उन्हें इस पद का भार सौंपा गया।

भारतीय सेनाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए CDS रावत ने कई सुधार शुरू किए। उन्होंने तीनों सेनाओं को मिलाकर चार थिएटर कमान बनाने का काम शुरू किया। जिसमें जमीनी स्तर पर दो, एक समुद्री और एक एयर डिफेंस कमान सम्मलित हैं। इसे लेकर सभी प्रक्रियाएं भी पूरी की जा चुकी हैं। इसके अलावा CDS बिपिन रावत ने चीन के साथ युद्ध से निपटने के लिए सीमा पर तैनात जवानों को छोटे-छोटे टुकड़ियों में बदलने की तैयारी कर रहे थे। इतना ही नहीं, वे भारतीय सेना को एक नयी ऊंचाई पर ले जाने के लिए हर तरह की सुरक्षा, हथियार को जुटाने के प्रयास में लगे थे। साथ ही उनकी नजर सेना को तकनीकी सुविधाओं से लैस करने को लेकर भी थी।

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