भारत के दौरे पर आए रूसी विदेश मंत्री के साथ देश के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री की बैठक हुई। जिसमें रक्षा क्षेत्रों को मजबूती देने के लिए दोनों देशों के बीच चर्चा की गई। इसमें मुख्य रूप से S-400 रक्षा हथियार के एग्रीमेंट को लेकर बातचीत हुई है। इस S-400 डिफेंस को लेकर रूस के विदेश मंत्री ने अमेरिका के ऊपर जमकर निशाना साधा। रूस के विदेश मंत्री सेरगे लावरोव ने यूएस को आईना दिखाते हुए कहा है कि “S-400 समझौता दुश्मनों को जबाब देने के मकसद से डील नहीं किया जा रहा है। भारत इससे अपनी रक्षा-सुरक्षा को प्रगाढ़ बनाएगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि “हमनें ऐसा महसूस किया है कि अमेरिका ने इस डील को शक्तिहीन करने की कई कोशिशें की हैं। अमेरिका के द्वारा यह भी प्रयास किया गया है कि हिंदुस्तान यूएस के बतलाए हुए रास्तों पर चले। लेकिन, हम ‘भारत के एक अच्छे मित्र’ की तारीफ करना चाहूंगा कि इतना अधिक दबाबों के बावजूद अमेरिका के आगे नहीं झुका और अपना निर्णय खुद किया।”

लोवरोव ने भारत की तारीफ करते हुए यह कहा कि “भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और वह अपना फैसला स्वयं लेना जानता है। साथ ही हिंदुस्तान के पास हथियार की खरीद-फरोख्त को लेकर भी यह दुविधा नहीं है कि उसे किस देश से रक्षा सौदा करना है, किससे नहीं।” बता दें कि भारत और रूस के बीच AK-203 राइफलों की खरीद को लेकर 5000 करोड़ से अधिक का समझौता किया गया है। जिसके तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में पाँच लाख से अधिक राइफलों का निर्माण कार्य किया जाएगा। इसके अतिरिक्त भी कई अन्य रक्षा संबंधी मुद्दे पर चर्चा हुई है। भारत और रूस के बीच दस वर्षों (2021- 2031) तक का सैन्य सहयोग की फाइनल डील हुई है।

भारत और रूस के बीच चले टू प्लस टू वार्ता और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का आना हर लिहाज से खास माना जा रहा है। रूसी राष्ट्रपति का भारत दौरा राजनैतिक और कुटनीतिक लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच हुए S-400 ने कई देशों की चिंताएं बढ़ा दी होंगी। भारत का रूसी राष्ट्रपति के साथ गरमजोशी से मेल-मिलाप अपने पुराने रिश्तों को और भी प्रगाढ़ बनाता है। इतना ही नहीं, भारत को अफगानिस्तान के दृष्टिकोण से भी पुतिन का यह दौरा आवश्यक माना जा रहा है। इससे पहले भी अफगानिस्तान को लेकर भारत के द्वारा आयोजित की गई बैठक में रूस को आमंत्रित किया गया था। जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी।

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