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Kash Patel
– फोटो : Amar Ujala
रिपब्लिकन पार्टी की बहुमत वाली सीनेट में 51-49 के अंतर से एफबीआई निदेशक के रूप में काश पटेल के नाम पर मुहर लगी। डेमोक्रेटिक पार्टी से सीनेटर डिक डर्बिन ने कहा, ‘मैं इससे बदतर विकल्प की कल्पना नहीं कर सकता।’ रिपब्लिकन पार्टी से मेन की सीनेटर सुसान कोलिन्स और अलास्का की लिसा मुर्कोव्स्की ने इसका विरोध किया।
आर-आयोवा के सीनेटर और सीनेट न्यायपालिका समिति के अध्यक्ष चक ग्रासली ने पटेल के नाम की पुष्टि से पहले कहा था, ‘पटेल एक बार फिर एफबीआई को जवाबदेह बनाना और कानून प्रवर्तन के लिए एजेंसी की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा को वापस दिलाना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि वह एफबीआई को कांग्रेस (अमेरिकी संसद), राष्ट्रपति और सबसे महत्वपूर्ण इसे उन लोगों के प्रति जवाबदेह बनाना चाहते हैं, जिनकी वे सेवा करते हैं, अमेरिकी करदाता।
डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने पिछले एफबीआई निदेशकों की तुलना में पटेल के प्रबंधन के अनुभव की कमी के बारे में शिकायत की थी और उनके (पटेल के) पिछले भड़काऊ बयानों का जिक्र किया था, जो उनके निर्णय को सवालों के घेरे में लाते हैं।

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कौन हैं काश पटेल?
कश पटेल का जन्म न्यूयॉर्क के क्वींस इलाके में हुआ था, उनके माता-पिता गुजराती मूल के थे, जो पूर्वी अफ्रीका से अमेरिका में जाकर बसे थे। कश पटेल ने कानून की डिग्री हासिल की है और वे फ्लोरिडा राज्य के सार्वजनिक अभियोजक के रूप में काम कर चुके हैं। कश पटेल बाद में न्याय विभाग से जुड़ गए और वहां एक अभियोजक के रूप में काम किया। न्याय विभाग में कश पटेल हाई-प्रोफाइल अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मामले देखते थे। कश पटेल के करियर ने यूटर्न उस वक्त लिया, जब वे रक्षा विभाग में बतौर वकील शामिल हुए। यहां से वे अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य डेविन नून्स के संपर्क में आए, जो उस समय संसद की खुफिया समिति के अध्यक्ष थे। नून्स ने ही काश पटेल को आतंकवाद विरोधी मामलों में बतौर वरिष्ठ वकील नियुक्त किया। ट्रंप सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान रूस मामले में एफबीआई जांच की जांच करने वाली रिपब्लिकन पार्टी की जांच का काश पटेल भी हिस्सा थे। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रिपब्लिकन पार्टी का घोषणा पत्र तैयार करने में भी काश पटेल की अहम भूमिका थी।

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ट्रंप के विश्वस्त और नजदीकी भारतवंशी कश्यप पटेल के बारे में जानिए
- भारतीय मूल के पटेल ट्रंप के वफादार हैं। उनका जन्म 1980 में न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी में गुजराती भारतीय माता-पिता के घर में हुआ था, जो पूर्वी अफ्रीका से कनाडा के रास्ते संयुक्त राज्य अमेरिका में आकर बसे थे। पटेल के पिता एक विमानन फर्म में वित्तीय अधिकारी के रूप में काम करते थे।
- उन्होंने कानून की डिग्री हासिल करने के लिए न्यूयॉर्क लौटने से पहले रिचमंड विश्वविद्यालय में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। साथ ही उन्होंने ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के विधि संकाय से अंतरराष्ट्रीय कानून में प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया।
- कश्यप काश पटेल को जब एक प्रतिष्ठित लॉ फर्म में नौकरी नहीं मिली तो वह एक पब्लिक डिफेंडर बन गए और न्याय विभाग में शामिल होने से पहले मियामी में स्थानीय और संघीय अदालतों में लगभग नौ साल बिताए।

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- 44 वर्षीय पटेल ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में ट्रंप के आतंकवाद विरोधी सलाहकार और उनके पिछले कार्यकाल के दौरान कार्यवाहक रक्षा सचिव के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम किया। उन्हें बचाव पक्ष के वकील, संघीय अभियोजक, शीर्ष सदन के कर्मचारी और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी के रूप में भी अनुभव है। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कई शीर्ष प्राथमिकताओं को अंजाम दिया था, जिसमें आईएसआईएस और अल-कायदा के अल-बगदादी तथा कासिम अल-रिमी जैसे नेताओं का सफाया और कई अमेरिकी बंधकों को वापस लाना शामिल था।
- ट्रंप के वफादार माने जाने वाले पटेल को उनके कार्यकाल के दौरान पूर्व राष्ट्रपति के लिए नियुक्त सलाहकारों के समूह में शीर्ष कुर्सी दी गई थी, जब वे यूक्रेन युद्ध के संबंध में प्रतिक्रिया के मुद्दों का सामना कर रहे थे।
- एक पब्लिक डिफेंडर के रूप में अपना करियर शुरू करने के बाद उन्होंने कई जटिल मामलों को सुलझाने की कोशिश की, जिनमें राज्य और संघीय अदालतों में हत्या, नार्को-तस्करी और वित्तीय अपराधों से संबंधित मामले शामिल हैं।
- अटलांटिक की रिपोर्ट में पटेल को ‘ट्रंप के लिए कुछ भी करने वाला’ शख्स बताया गया है, जो हाल ही में संपन्न चुनावों में उल्लेखनीय जीत हासिल करने के बाद अब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि पटेल 2019 में 40 वर्षीय वकील के रूप में तत्कालीन ट्रंप प्रशासन में शामिल हुए और तेजी से शीर्ष पदों की ओर बढ़ने लगे।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप ने अपने पिछले प्रशासन के अंतिम सप्ताहों में पटेल को सीआईए का उप निदेशक नियुक्त करने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा।

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अयोध्या के राम मंदिर पर बयान से भी चर्चा में रहे काश पटेल
काश पटेल भारत अयोध्या के राम मंदिर को लेकर भी खूब चर्चा में रहें है। काश पटेल के परिजनों का भारत के गुजरात से संबंध है। न्यूयॉर्क में पैदा हुए काश पटेल के माता-पिता पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया से अमेरिका पहुंचे थे। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर काश पटेल के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने खासी सुर्खियां बटोरीं थी। दरअसल इस पोस्ट में काश पटेल ने लिखा था कि विदेशी मीडिया अयोध्या के 50 वर्षों की बात कर रही है लेकिन राम मंदिर के 500 साल से भी पुराने इतिहास को भुला दिया गया है।
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